भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिंदर / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
साकार
पण
निराकार रा
फूटरो घर !
जकै नै
भूत
भविख
वर्तमान
मूं‘गीवाड़ै
अर
राज रो जम्मा नीं
डर !