भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिट्टी का दीप / गिरीश पंकज
Kavita Kosh से
मिट्टी का है दीप, उजाला सबको देता ।
बदले में हमसे-तुमसे,
वो कुछ न लेता ।
हम भी जग की सेवा करके,
दीपक जैसा काम करें ।
सारे जग में नाम करें ।।