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मिनखपणौ : अेक / दुष्यन्त जोशी
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थूं आपरी
गरीबी सारू
क्यूंदयै
मालक नै औळमौ
लखदाद बोल
स्यात
थारी गरीबी परोटै
थारौ मिनखपणौ।