मिराबो पुल / गैयोम अपोल्लीनेर / अरुण कमल
मिराबो पुल के नीचे बहती है नदी सीन
जहाँ तक हमारे प्रेम की बात है
मुझे याद आता है कि
हर दुख के बाद आती है ख़ुशी फिर
रात आए, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं
हाथ में हाथ डाल आमने-सामने ठहरे रहें हम
और नीचे
हमारे आलिंगन-पुल के नीचे
बहती जाएँ लहरें हमारे ताकते रहने से क्षुब्ध
आए रात, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं
प्यार गुज़र जाता है जैसे धारा गुज़र जाती है
गुज़र जाता है प्यार
जीवन कितना लम्बा और सुस्त है
जीवन की उम्मीद देती है कितने ज़ोर की चोट
रात आए ,बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं
दिन और सप्ताह बहते जा रहे हैं हम से दूर
न लौटेगा बीता समय
न लौटेगा प्यार फिर
बह रही है नदी सीन मिराबो पुल के नीचे
रात आए, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अरुण कमल