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मिरे ख़याल ने पहुँचा दिया है किसके पास / नज़ीर बनारसी
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मिरे खयाल ने पहुँचा दिया है किसके पास
शकुन्तला की अँगूठी की तरह गुम हैं हवास
बचाओ अपना जहाँ मरे गम के साये से
उदास दिल कहीं कर दे न कायनात <ref>दुनिया</ref> उदास
मिरा सलाम लो ऐ साकिनाने दैरो हरम <ref>मन्दिर-मस्जिद में रहने वाले</ref>
अब उनके गम के सिवा कुछ नहीं है मेरे पास
तुम्हारे कहने से मैं आ गया हूँ महफिल में
मिरे करीब ही रहना मिरे मिजाजे शनास <ref>पहचानने वाला</ref>
जमाना हो गया बन सायँ-साँय करता है
तुम्हारे बाद किसी को न मिल सका बनबास
’नजीर’ आज वहाँ पा रहा हूँ अपने को
बड़े-बड़े ने जहाँ खो दिये हैं अपने हवास
शब्दार्थ
<references/>