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मिरे खुश्क खेतों को बरसाद दे / शीन काफ़ निज़ाम

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मिरे खुश्क खेतों को बरसाद दे
तू पेड़ों को फल, फूल और पात दे

जो छू ले दिलों को वही बात दे
हमें तो पुरानी हिकायात दे

फ़रिश्ते फिजाओं में फिरने लगें
मुहब्बत की हम सब को सौगात दें

दें तौफिक तेरी तमन्ना करें
तिरा नाम लेने की औकात दें

तिरी अज्मतों को मुनव्वर करें
हमें चन्द ऐसे भी लम्हात दें

लहू रंग रोती हुई आंख को
कभी मुज्द-ए-मर्गे-आफात दे

तू आफाके-इन्कार मिस्मार कर
हमें अब तो आदाबे-इस्बात दें

जमीरों में कंदीले-कुर्बत जला
उमंगो को उल्फत की आदात द