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मिला जुला सपना / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
एक जीवन आसपास
दर्जनों जीवन उदास
हज़ारों अनगढ़ आस ।
दूर मंज़िल
बेहद क़रीब सपनें
एक करवट नींद
एक करवट बेचैनी ।
ख़ामोश इंतज़ार
बतकही यादें।
एक ज़मीन आसपास
गिलहरी आहट से बचती हुई
पतंग अपना आकाश रचती हुई
तितिलयाँ बेशुमार रंगों में डूबी हुईं ।
आकाश के आकर्षण में बँधी ।
आकाश ने अपना लिए सपने
धरा के हिस्से आए बीज
आकाश ने रोपे सपने
धरा ने रोपे बीज
यूँ मिला-जुला सपना फला-फूला ।