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मिले दर्द जब भी बताना ज़रूरी / बाबा बैद्यनाथ झा
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मिले दर्द जब भी बताना ज़रूरी
दिली मित्र को ग़म सुनाना ज़रूरी
बड़ा आततायी रुलाता करोना
रुके रोग इसको हराना ज़रूरी
कभी चोर डाकू मिले सामने तो
सभी राज़ उनसे छिपाना ज़रूरी
ग़लत काम करने तुम्हें कह रहा हो
नहीं बात मानो, बहाना ज़रूरी
ग़रीबी रुलाती जिसे झोपड़ी में
मदद कर उसे है हँसाना ज़रूरी
जिसे चाहते हो दिलोजान से तुम
हुआ प्यार तो है निभाना ज़रूरी