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मिले स्वर अनोखा अगर कान में / बाबा बैद्यनाथ झा

मिले स्वर अनोखा अगर कान में
जमे खूब महफिल मधुर गान में

सरस लोग खुश हों ग़ज़ल गीत में
शराबी हमेशा सुरा पान में

करेगा तपस्या लगातार जो
उसे रोज़ हीरा मिले खान में

करोना रुलाता हमें इस तरह
नहीं शेष साहस डरी जान में

रहे रुष्ट माता पिता खुश नहीं
नहीं तीर्थ में फल नहीं दान में

बनें आप श्रोता रहें सामने
सुनें गीत ग़ज़लें इसी शान में