मिसेज फ़िल्म की चर्चाओं के मध्य में टीना, मीना, रीना कथा कौंध / नेहा नरुका
जब टीना, मीना, रीना ससुराल छोड़कर घर आईं
तो पहले घरवालों ने उन्हें ख़ूब समझाया, फिर उन्हें डराया और फिर बार-बार सुनाया
टीना, मीना, रीना ठहरीं ढीठ, टस से मस नहीं हुईं
आख़िरकार घरवालों ने कुछ घबराकर, कुछ लजाकर और कुछ मुँह फुलाकर
टीना, मीना, रीना को सपने पूरे करने की तथाकथित आज़ादी दे दी
फिर कुछ दिन बाद टीना एक निजी स्कूल में पढ़ाने लगी
मीना एक निजी अस्पताल में पोंछा लगाने लगी
और रीना इंस्टाग्राम पर रील बनाने लगी
अब टीना स्कूल जाती है तो घरवालों के लिए खाना बनाकर जाती है
मीना अपनी पूरे पैसे भाई-भतीजों को सौंप देती है
रीना दिनभर रील बनाती है और दिनभर बर्तन माँजती है
लेट-लतीफ़ी के कारण टीना को स्कूल का प्रिंसीपल डाँटता है
मीना के पोंछे में उसकी सीनियर भर-भर के गन्दगी निकालती है
और रीना उसकी तो कुछ पूछो मत, इधर रील पोस्ट होती है उधर गालियाँ
कुल मिलाकर तीनों की ज़िन्दगी इस समय झण्ड है
ऐसे में बहुत सम्भावना है कि तीनों अपनी
ससुराल छोड़कर आने वाले निर्णय पर कभी-कभार पछताती हों
पर ऐसा नहीं है
टीना, मीना, रीना नींद में भी ससुराल का नाम नहीं लेतीं
एक दो बार ग़लती से रात में बर्रा गईं तो उनकी देह से भय का पसीना छूटा
समकाल में टीना का मतलब है झुँझलाहट
मीना का मतलब है थकावट
और रीना बिचारी बेमतलब है
उनके अन्दर का रहस्य ये है कि उन्हें न अपना घर पसन्द, न घरवाले और न अपना काम
टीना, मीना, रीना ससुराल की तरह इस सबको भी छोड़ देना चाहती हैं
मगर मुश्किल वही है बहुत कुछ छोड़ने के लिए ज़िद के साथ जिस विचार की ज़रूरत होती है
जो इस पूरे वक़्त में ही नहीं है
तो उनके पास भी कैसे हो ?
फरवरी 2025