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मीठी नीम / विवेक चतुर्वेदी
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एक गंध ऐसी होती है
जो अंतर में बस जाती है
गुलाब सी नहीं
चंदन सी नहीं
ये तो हैं बहुत अभिजात
मीठी नीम सी होती है
तुम ... ऐसी ही एक गंध हो।