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मीत कह रहा है कहीं राह में मिलो / रंजना वर्मा

मीत कह रहा है कहीं राह में मिलो।
यूँ न मिल सको तो ख्वाबगाह में मिलो॥

अधरों में छुपा एक अनछुआ गुलाब
शर्मीली आँखों में मेहंदीले ख्वाब,
तुम मिले कि जैसे हो अनकिया सवाब
या कि जहाँ सिर्फ़ लाभ हो वही हिसाब।

नींद भरी अधखुली निगाह में मिलो।
यूँ न मिल सको तो ख्वाबगाह में मिलो॥

खुले नयन गीतों के अनगाये छंद
पलक झुके तो कर ले मन पंछी बंद,
मन के कागज कोरे दिल के अनुबंध धड़कन में साँसों में स्नेह की सुगंध।

स्वप्न सत्य हो न सही चाह में मिलो।
यूँ न मिल सको तो ख्वाबगाह में मिलो॥