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मीत का आगमन है मनाने लगी / रंजना वर्मा
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मीत का आगमन है मनाने लगी ।
उर्मिला लक्षमन को बुलाने लगी।।
व्रत अनेकों किये इस मिलन के लिये
अब सफल सब हुआ रवि मनाने लगी।।
थी विरह की अगन जो हृदय जल रही
तृप्ति के नीर से है बुझाने लगी।।
थे सभी आस के बाग पतझर हुए
अब उन्हें भी मिलन रितु सुहाने लगी।।
था निराशा भरा गम निगलता जिन्हें
रात भर प्यार पा जगमगाने लगी।।
फूल हँसने लगे हर कली खिल गयी
फिर सुगंधित पवन गुनगुनाने लगी।।
नैना आँसू भरे पथ निहारा किये
राह भी प्रेम के गीत गाने लगी।।
कल्पना में सहेजा जिसे था सदा
सच बना तो गले से लगाने लगी।।
केश रूखे हुए अटपटी सी लटें
उलझनें छोड़ खुद को सजाने लगी।।