मीत तभी तुम दिल में आना / सच्चिदानंद प्रेमी
मीत! तभी तुम दिल में आना,
लेकर आना गीत!
बहके पछिया आँचल सरके
प्रीति-रीति बिक जाए,
जग कोलाहल पर इठलाए
मुकुलित मन घबराए;
हिंसा प्रतिदिन पर प्रतिहिंसा
बंद न्याय उदगीत!
सखे तब दिल में आना
लेकर धीरज गीत!
दाघ कठिन मधुवन झुलसाए
झरे टिकोरी डाली,
काक-चील-वक-चातक के सुर
बोले कोयल काली ;
पंथ-पथिक परिजन मन डोले
साधे प्रलय संगीत!
सखे तब दिल में आना
लेकर मधुमय गीत!
देह सटाए हिरना-हिरनी-
कातर दृष्टि डाले,
अलस वधु निज कोहबर घर में
पड़े द्वंद्व के पाले ;
मधु-ऋतु दहके ताप चढ़े सिर
धधके दह-दह शीत!
सखे तब दिल में आना
लेकर शीतल गीत!