मीत सजाओ इन होठों पर / उमेश कुमार राठी
मीत सजाओ इन होठों पर
मीठी-सी मुस्कान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान
अपना और पराया क्या है
खोया क्या है पाया क्या है
दीवारों पर चलता फिरता
अनजाना ये साया क्या है
सिर्फ दिखावे की खुशियों पर
करते क्यों अभिमान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान
राही तकता नीर तलैया
नैया करती याद खिवैया
दाना मिलता है जिस छत पर
बैठे जाकर सोन चिरैया
स्वारथ के झूठे दर्पण में
सूरत को पहचान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान
तेल बिना इस अँधियारे में
कैसे नित्य चिराग जलायें
ठोकर खाकर गलियारे में
कब तक सत्य सुराग जुटायें
कितनी दूर निकल आये हैं
कैसे हो अनुमान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान
जीवन में होता सन्नाटा
जब रिश्तों में पसरे घाटा
कौन निभाता साथ यहाँ पर
देख गरीबी गीला आटा
लाली हट जाती सूरज की
जब होता अवसान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान
शब्द पिरोकर भाव सँजोये
स्वप्न सलौने दिल में बोये
गीत सजाये जब ज़ुबान पर
साज बजे पर जियरा रोये
देख तनिक अहसास विरह का
आँसू हैं अनजान
पल दो पल का है ये जीवन
हम इसके मे'हमान