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मीरा का इतिहास / दानीश्वर श्याम

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एक मौसी है
संसार की वह मौसी है
वह अपने को, अपने जन्म को
हमेशा कोसा करती है
हे भगवान, तुमने यह क्या किया
क्यों ऐसा किया प्रभु !
यही कारण है
कि मौसी ने लड़की के जनमते ही
वेश्या कह डाला था
कहा था -
तुम पतुरिया है बेटी,
कन्या कहाँ,
तु तो वेश्या है
कहाँ होता वह जो तू सोचती है
कहाँ होता है वह जो तू चाहती है
कहाँ होता वह जो तू करना चाहती है
मीरा को देख
मीरा के प्रेम को किसने देखा ?
उसके प्रेम के आँसू, पीड़ा को
किसने समझने का यत्न किया ?
माँ-बाप ने,
समाज ने
मीरा को क्या से क्या बना डाला
पति कुम्हार बन उसको
मिट्टी बना डाला
वह अपना सखा प्रेम को लेकर
अपनी सखी पीड़ा को लेकर
संसार से पलायन कर गयी
मीरा के प्रेम का नीलाम हुआ कि नहीं ?
प्रणय प्यार को सौत बनाकर
क्रिड़ा कि हाथ बेच डाला
कैसी विवशता है बेटी।
इधर पति का परिवार,
बाल बच्चे
उधर संसद समाज,
जन समुदाय
अपने प्रेम को किसने देखा ?
कुम्हार ने मिट्टी को रौंद कर
कई नमूने, कई बरतन बना डाले
किन्तु प्रेम के महासागर का
मंथन किसने किया बेटी ?
और प्राणप्रिय मणि किसके हाथ लगा ?
पति कुम्हार बन जीवन भर
तुम को रौंदता रहा
और तू
प्रेमी कृष्ण को पूजती रही
पर भगवान सभी को नहीं मिलते बेटी !
अहिल्या प्रभु-स्पर्श से तर गयी
शबरी के फल राम ने खाये
पर
राम ही ने सीता को चबा डाला
मेनका विश्वामित्र पर सवार होने आयी थी
पर रौंदी वही गयी बेटी !
शकुन्तला को पैदा कर क्या चमत्कार किया
दुष्यन्त विश्वामित्र का बाण
जिसने शकुन्तला को
जीर्ण-शिर्ण कर
भरत का निर्माण किया
और कुम्हार बन भरत अमर हो गया
बेटी ! तू पातुर की पतुरिया ही रह गयी
तेरे प्रेम को
किसने देखा बेटी ?
युग-युग से
मंदोदरी रावण को ताक रही है
शूर्पणखा राम को,
लक्ष्मण को
रत्नावली तुलसी की जांघ पकड़ रो रही है
कुंती अपने कर्ण को जकड़ी रही
द्रोपदी पंच-पात्रों को निहार रही है
यशोधरा गौतम को गुहार रही है
वासवदŸाा क्या बुद्ध को भूल पायी ?
राधा को दोषी कौन कहेगा
जो
आज कृष्ण के साथ पूजित है
उससे बड़ी बड़भागिन आज
संसार में कौन है बेटी
मीरा के प्रेम को देखो लोगो
उसकी पीड़ा को मत देखो
उसकी विवशता को मत देखो
तुम को भी भगवान मिल सकते हैं !