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मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें ‘ग़ालिब’ / ग़ालिब
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मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें ‘ग़ालिब’
यार लाए मिरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त