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मुँह उनके ख़ून से सने रहना / विजय किशोर मानव

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मुंह उनके ख़ून से सने रहना
भीड़ों का आदमी बने रहना

उजली दीवारों को थामते,
लोगों का बेल के तने रहना

खुले भेड़ियों वाले गांव में,
ज़ंजीरों बंधे मेमने रहना

हिस्से में आम आदमी के ही
आता है सिर्फ़ सर धुने रहना

और बर्दाश्त करेगी कब तक
भीड़ इस तरह आईने रहना