भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुए केंचुए / शशिकान्त गीते
Kavita Kosh से
बदला मौसम नई हवाएँ
कैसे-कैसे रोग
मंन्दिर-मस्जिद अगड़े-पिछड़े
रोज़-रोज़ के बलवे-झगड़े
रोटी कहीं छिपी दम साधे
भूखे दुर्बल लोग
पृथक प्रदेश देश के नारे
नक्सल, आतंकी बंजारे
संकट विकट कोढ़-खुजली का
प्राणांतक संजोग
वादे करते स्वप्न बाँटते
प्रश्न घेरते थूक चाटते
मुए केंचुए ख़ूब जानते
शब्दों का उपयोग