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मुक्तक-19 / रंजना वर्मा

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है साज़ खूबसूरत
इसकी बड़ी जरूरत।
सुख चैन यहीं मिलता
यह जिंदगी की सूरत।।

नहीं चाहिये माँ को बंगला या गाड़ी
नहीं चाहिये कीमती कोई साड़ी।
उसे मोह है लाल से सिर्फ अपने
उसे वो रखेगी हमेशा अगाड़ी।।

मेरा लाल आंखों के आगे रहेगा
सहूँ कष्ट सब वो नहीं कुछ सहेगा।
उठा लूँगी मैं बोझ के साथ उसको
जमाना मुझे चाहे कुछ भी कहेगा।।

नहीं हर एक जन उपदेश हेतु सु पात्र होता है
अधिकतर जन्म जो लेता वो जीवित गात्र होता है।
नहीं होती सभी मे ज्ञान पाने की पिपासा भी
जियें ऐश्वर्य से बस लक्ष्य इतना मात्र होता है।।

जो कुछ लोग जिंदगी केवल जीते हैं
घाव स्वयं अपने हाथों से सीते हैं।
हैं अपात्र वे जीवन व्यर्थ हुआ उन का
जो न सहायक सब के वे मन रीते हैं।।