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मुक्ति का सौन्दर्य / भगवान स्वरूप कटियार
Kavita Kosh से
सेवानिवृत्ति के उपरान्त की अनुभूति
मैं वापस कर आया हूँ
उनका दिया हुआ रौबदार हैट
वज़नदार बूट
और तमाम गुनाहों में सनी
लकदक वर्दी ।
मैं छोड़ आया हूँ
वह मेज़ और कुर्सी भी
जिस पर बैठ कर
बेबसी में अनचाहे
हमें करने पड़े थे
घटिया और घृणित समझौते
आज खुली हवा में
अपने मित्रों के बीच
साँस लेते हुए
मैं महसूस कर सकता हूँ
कि जीवन कितना सुन्दर है ।