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मुखडानी माया लागी रे / मीराबाई

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राग काफी-ताल द्रुत दीपचंदी


मुखडानी माया लागी रे, मोहन प्यारा।
मुघडुं में जियुं तारूं, सव जग थयुं खारूं, मन मारूं रह्युं न्यारूं रे।
संसारीनुं सुख एबुं, झांझवानां नीर जेवुं, तेने तुच्छ करी फरीए रे।
मीराबाई बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुं तो बड़भागी रे॥


शब्दार्थ :- माया =लगन, प्रीति। जोयुं =देखा। तारूं =तेरा। थयुं खारूं,अर्थात नीरस हो गया। एवुं = ऐसा। झांझवानाम =मृग-तृष्णा। जेवुं = जैसा। फरीए =घूम रही हूं। हवे =अब।