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मुख तै बोलो रे जै जै सीता राम / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मुख तै बोलो रे जै जै सीता राम
बड़े भाग मानस तन पाया सुर दुरलब सब ग्रंथांे नै गाया
राम भजन का करतब बणाया तज द्यो छोटे काम
बिरथा मत डोलो रे जै जै सीता राम
राम नाम है रतन अमोला संत जन्यां नै खूब टिटोल्या
एक रत्ती अर बावन तोला पूरे कर दे काम
हिरदै मैं तोलो रै जै जै सीता राम
आठ परकार काम नै त्यागो भगवत भगती मैं तम लागो
सोए भोत दिनां तै जागो कोडी लागै ना दाम
त्यार तम हो ल्यो रे जै जै सीता राम
इष्ट धरम आसरम का राखो मुख तै झूठ कदे ना भाखो
गाम गाम हो आसरम लाखों बने देस हरी धाम
पाप को धो ल्यो रे जै जै सीता राम
गऊ बैल्यां की सेवा करल्यो सेवा करके पार उतरल्यो
ईसवर भगती मैं चित धरल्यो ले ईसवर का नाम
आसरम खोलो रै जै जै सीता राम