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मुगती / प्रमोद कुमार शर्मा

ऐक हो जादूगर,
दिखांवतो तरियां-तरियां रा सुपना
अर चलावंतौ दुनिया पर हुक्म ....!
घणी पछै ठा पड़यौ कै
बीं री सारी त्याग्त भासा है।

अब सुवाल ओ है
भासा नै कुण छुड़ावै
बीं जादूगर री कैद स्यूं ?