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मुगातर / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
पैलौ माथौ टेक्यां
समरपित है
देवां आगै।
दूजौ हाथ पसारयां
अडांणै है
मिनख जमारै।
तीजौ भाग अजमायां
भाजै है
जजमांनां सांम्ही।
भगत
मंगत
अर पुजारी।
आप आपरै मुगातर
पज्योड़ा है
तीनूं
मिंदरिये रै
ओळै-दोळै।