भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुजरिम / सुरजीत पातर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सुरजीत पातर  » मुजरिम

मुजरिम

इन के हाथ से काँटे उगे हैं
बचकर रहना

लेकिन यह न भूलना
ये हाथ बींधकर उगे हैं

अनुवाद: चमन लाल