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मुज़्तरिब दिल की कहानी और है / फ़सीह अकमल
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मुज़्तरिब दिल की कहानी और है
कोई लेकिन उस का सानी और है
उस की आँखें देख कर हम पर खुला
ये शुऊर-ए-हुक्मरानी और है
ये जो क़ातिल हैं उन्हें कुछ मत कहो
इस सितम का कोई बानी और है
उम्र भर तुम शाइरी करते रहो
ज़ख़्म-ए-दिल की तर्जुमानी और है
हौसला टूटे न राह-ए-शौक़ में
ग़म की ऐसी मेज़बानी और है
मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
ये ज़बान-ए-बे-ज़बानी और है
आईने के सामने बैठा है कौन
आज मंज़र पर जवानी और है