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मुझको-तुमसे / पूनम गुजरानी
Kavita Kosh से
					
										
					
					समय के साथ
बदल जाते हैं
अर्थ
भाव
विचार
और स्मृति भी
बस नहीं बदलते
अक्षर
ज्ञान
प्रेम
और 
संवेदनाओं के तंतु
जो जोङते है 
तुमको-मुझसे
मुझको-तुमसे।
	
	