भला बताओ मेरी अम्मा
मुझको कौन पढ़ाए ?
नहीं महल राजाओं जैसा ।
नहीं हमारे घर में पैसा ।।
कहाँ किताबें रंग-बिरंगी ।
पसरी देखो घर में तंगी ।।
क़लम -कॉपियों का जो पैसा
बोलो कौन जुटाए ?
मुखिया जी का राजा भैया ।
नहीं चराता है वह गैया ।।
पढ़-लिखकर वह नाम करेगा ।
लेकिन मेरी कौन सुनेगा ?
अपना बचपन संघर्षों में
यों ही बीता जाए !
जाने कैसी क़िस्मत खोटी ।
बड़ा कठिन है पाना रोटी ।।
मेहनत करनी पड़ती भारी ।
घर में फैली है लाचारी ।।
काश ! पढ़ाई का जो सपना
वह पूरा हो जाए !