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मुझको तुम सा यार चाहिये / तारा सिंह
Kavita Kosh से
मुझको तुम सा यार चाहिये
यार, एक तरहदार1 चाहिये
ताकते–खलिशे-खार2 रही नहीं
मुझको निहकते- गुलज़ार3 चाहिये
गमे-फ़ुरकत की गर्मी दूर से ही
जला देती,और नहीं इंतजार चाहिये
बेकाबू होती जा रही सामन्दे-जवानी4
कैसे संभालूँ, एक सलाहकार चाहिये
तड़प-तड़पके गुजर रही रात, मेरे
रुसवा5दिल को एक राज़दार चाहिये
1.नखरेवाला 2.काँटे की चुभन की ताकत 3.बाग की खुशबू 4. जवानी का घोड़ा 5.बदनाम