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मुझको बोलो दीदी मेरी / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
देखो मम्मी कितनी छोटी
कितनी छोटी है यह चेरी
कितनी कोमल कोमल है यह
यह तो एक खिलौना मेरी।
कितनी छोटी इसकी आँखें
कितनी छोटी इसकी बाहें
टुकटुक टुकटुक देखा करती
जी में आता इसे उठाएँ
कब दौड़ेगी मेरे पीछे
पीछे पीछे कब आएगी
अरे साथ में चलकर मेरे
बरगर-पिज्जा कब खाएगी।
मम्मी, इसे हिला दूँ थोड़ा
थोड़ा सा बस थोड़ा-थोड़ा
ज़रा बड़ी जब हो जाएगी
बन जाऊँगी इसका घोड़ा
बस हँसती है या रोती है
जब देखो तब सो जाती है।
मम्मी कब बोलेगी चेरी
मुझको, बोलो, दीदी मेरी।