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मुझको मिलता नहीं तेरे जैसा / राम नाथ बेख़बर

मुझको मिलता नहीं तेरे जैसा
जिसको चाहूँ मैं चाहने जैसा।

बस में होता तो भूल जाता मैं
पर नहीं है तू भूलने जैसा।

पीठ पीछे भी वैसा दिखता है
हाँ, दिखा है तू सामने जैसा।

तुम कहो तो उतर के मैं देखूँ
यार सचमुच हो आइने जैसा।

बेख़बर देख लूँ मैं जी भर कर
तेरा चेहरा है देखने जैसा।