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मुझको मेरी मुश्किलों का हल / रामश्याम 'हसीन'

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मुझको मेरी मुश्किलों का हल बता ऐ ज़िन्दगी!
कैसा होगा आने वाला कल? बता ऐ ज़िन्दगी!

मुझको ख़ुद्दारी ने मारा है मुझे मालूम है
तू किसे क़ातिल कहेगी? चल बता ऐ ज़िन्दगी!

चाहकर भी जिससे अब तक मैं निकल पाया नहीं
किन मरासिम की है ये दलदल? बता ऐ ज़िन्दगी!

ज़िन्दगी से ज़िन्दगी भर मैं यही कहता रहा
जिसमें तुझको जी सकूँ वह पल बता ऐ ज़िन्दगी!

जब कोई रिश्ता नहीं तुझसे मेरा तो ऐ 'हसीन' !
क्यूँ मेरे दिल में मची हलचल? बता ऐ ज़िन्दगी!