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मुझको यादों की ही जीनत दे दे / रंजना वर्मा

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मुझको यादों की ही जीनत दे दे
अपनी थोड़ी सी मुहब्बत दे दे

पास तू लौट के जिनमे आये
ऐसे ख्वाबों को हकीकत दे दे

देख आतंक पांव थर्राए
सह सकूँ इनको वो आदत दे दे

दर्द को कौन चाहता सहना
अश्क़ पीने की इजाज़त दे दे

एक पल भी नहीं गुजरे तुझ बिन
प्यार में मेरे वो शिद्दत दे दे

रोज काँटे बिखेरे राहों में
मेरे दुश्मन को वो ज़हमत दे दे

अपने कर्मों पे रहे शर्मिन्दा
हर बशर में वो नदामत दे दे

जो मुझे पार करा दे सागर
मेरी कश्ती को वो किस्मत दे दे

जिंदगी किस तरह गुजारूं मैं
कुछ इशारा इसी बाबत दे दे