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मुझको समझा मेरे जैसा / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
मुझको समझा मेरे जैसा
वो भी गलती कर ही बैठा
उसका लहजा तौबा! तौबा!!
झूठा किस्सा सच्चा लगता
महफ़िल महफ़िल उसका चर्चा
आखिर मेरा किस्सा निकला
मैं हर बार निशाने पर था
वो हर बार निशाना चूका
आखिर मैं दानिस्ता डूबा
तब जाकर ये दरिया उतरा