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मुझमें भी ताकत सच अम्मा / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
होती लहरें कितनी कोमल
लहरें कितनी होती सुन्दर
पर ताकत भी कितनी होती
हिल हिल जाता अजी समन्दर।
मां मुझको लहरों सा मानो
जग को एक समन्दर अम्मा!
कहो हिलाकर इसको रख दूं
मुझमें भी ताकत सच अम्मा!
हाँ हाँ बिटिया सच कहती हो
नहीं ना हो तुम किसी से कम
पर पहले तुम खा लो, पढ़ लो
लगा लगा के पूरा दम खम!