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मुझसे कभी किसी प्राणी का / हनुमानप्रसाद पोद्दार

  (राग शिवरञ्जनी-ताल कहरवा)

 मुझसे कभी किसी प्राणी का हो जाये न अहित-‌अपमान।
 सबमें तुम्हीं दिखायी दो, हो सबका मुझसे हित-समान॥
 दुःख मिटानेमें औरोंके, अपना सुख कर दूँ बलिदान।
 बढ़ते देख दूसरोंके सुख, मैं पाऊँ आनन्द महान॥
 अपने छोटे-से अघको मैं मानूँ बहुत बड़ा अपराध।
 कभी न देखूँ दोष पराया, गुण सबके देखूँ निर्बाध॥
 घृणा करूँ मैं नहीं किसीसे, रहूँ सदा दुष्कृत्य से दूर।
 आने दूँ कुविचार न मनमें, रखूँ सद्विचार भरपूर॥
 बुरे संग से बचा रहूँ, नित करूँ प्रेमियोंका सत्सन्ग।
 रँगा रहे जीवन मेरा मधु पावन प्रेम-भक्ति के रन्ग॥