भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुझसे मिल / प्रेम साहिल
Kavita Kosh से
रसने से पहले
आम का स्वाद
चखने चखाने के लिए
मुझसे मिल
गाँव के बाहर
नदी के बाँध पर
टहलने बतियाने के लिए
शाम के आँचल में गिरे
सूरज को उठाकर चुपके से
टीले की ओट में छुपाने के लिए
फिर अल सुबह मुझसे मिल
टीले की ओट में छुपाई
वही पतंग उड़ाने के लिए।