मुझे उस से कोई शिक़वा नहीं है
बुरा है वो मगर इतना नहीं है
कोई भी बात कह देता है सीधी
वो कड़वा है मगर झूठा नहीं है
दिलों के रब्त में मुश्किल है बस ये
कोई दिल से कभी मिलता नहीं है
मुहब्बत हो गई उस को है जब से
"वो तन्हाई में भी तनहा नहीं है"
मुझे ले चल किसी ऐसी जगह तू
जहाँ भी इश्क़ पर पहरा नहीं है