मुझे ख़ामोशी चाहिए / पाब्लो नेरूदा / उज्ज्वल भट्टाचार्य
अब मुझे अकेले छोड़ दो ।
अब मेरे बिना रहने के आदी बनो ।
मैं आँखें बन्द करने जा रहा हूँ ।
और मैं सिर्फ़ पाँच बातें सुनना चाहता हूँ —
पाँच पसन्दीदा जड़ें ।
पहली है — बेइन्तिहा प्यार ।
दूसरी है — पतझड़ को देखना ।
पत्तों के बिना मैं,
मैं नहीं हो सकता
उड़ते जाना और फिर धरती पर लौट आना ।
तीसरी है — ख़ौफ़नाक़ जाड़ा,
बरसात जिससे मुझे प्यार है, आग जो
जंगल की सर्दी में सहलाती है ।
चौथी जगह — गर्मी का मौसम
तरबूज़े की तरह सुडोल गोल ।
पाँचवी — तुम्हारी आँखें हैं,
मेरी मातील्दा ! मेरी महबूबा !
तुम्हारी आँखों के बिना मुझे सोना नहीं,
मुझे होना नहीं अगर तुम मुझे देखती न रहो,
वसन्त न हो मुझे मंज़ूर है
अगर तुम मुझे देखती रहो ।
मेरे दोस्तो, इतना ही मैं चाहता हूँ ।
यह लगभग कुछ नहीं, और यह लगभग सब कुछ है ।
अब अगर तुम चाहो, तुम जा सकते हो ।
इतना मैंने जी लिया कि एक दिन
तुम्हें मुझे, बस, भूल जाना होगा,
श्यामपट्ट से मेरा नाम मिटाते हुए,
कभी न ख़त्म होनेवाला है मेरा दिल ।
लेकिन गोकि मैं ख़ामोशी चाहता हूँ
यह मत समझो कि मैं मरने वाला हूँ :
दरअसल बात बिल्कुल उल्टी है,
बात यूँ है कि मुझे ख़ुद में जीना है ।
बात यूँ है कि मैं हूँ और मुझे होना है ।
ऐसा गर न हो, फिर भी
मेरे अन्दर उगेंगे अनाज
फूट पड़ेंगे वे धरती से
रोशनी की तलाश में बाहर की ओर,
लेकिन धरती माँ का दिल अन्धेरा है
और मेरे अन्दर भी अन्धेरा है :
मैं उस कुएँ की तरह जिसके पानी में
रात अपने सितारों को छोड़ जाती है
और अकेले चली जाती है खेतों की ओर ।
बात ऐसी है कि मैं इतना जी लिया
कि मुझे फिर से इतना ही और जीना है ।
मेरे अन्दर कभी इतनी ध्वनियाँ न थीं,
मेरे पास देने को कभी इतने चुम्बन न थे ।
.
अब, हमेशा की तरह, अभी वक़्त नहीं हुआ
और अपनी मधुमक्खियों के साथ रोशनी उड़ जाती है ।
इस दिन के साथ मुझे अकेला छोड़ दो,
मैं फिर से जी उठने की इजाज़त चाहता हूँ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य