Last modified on 27 नवम्बर 2020, at 19:39

मुझे निर्बंध हो जाने दो / विजय सिंह नाहटा

मुझे निर्बंध हो जाने दो
खुला औ' अकेला
शून्य में थिर खड़ा
निहार ही लूंगा
अस्तित्व के आर पार
खिलने दो मुझे प्रेम में
मृत्यु में जन्मने दो।