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मुझे न सपनों से बहलाओ / हरिवंशराय बच्चन
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मुझे न सपनों से बहलाओ!
धोखा आदि-अंत है जिनका,
क्या विश्वास करूँ मैं इनका;
सत्य हुआ मुखरित जीवन में, मत सपनों का गीत सुनाओ!
मुझे न सपनों से बहलाओ!
जग का सत्य स्वप्न हो जाता,
सपनों से पहले खो जाता,
मैं कर्तव्य करूँगा लेकिन मुझमें अब मत मोह जगाओ!
मुझे न सपनों से बहलाओ!
सच्चे मन से मैं कहता हूँ,
नहीं भावना में बहता हूँ,
मैं उजाड़ अब चला, विश्व तुम अपना सुख-संसार बसाओ!
मुझे न सपनों से बहलाओ!