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मुझे पहचानना चाहते हो / अमित कुमार मल्ल
Kavita Kosh से
मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुबह की चहचहाती चिड़िया
मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
सुलगती दहकती चिंगारी
मुझे पहचानना चाहते हो
तो देखो
जमीन में घुलते और बिजते बीजो को
उगूँगा मैं
फोड़कर वही पथरीली धरती
जहाँ खिलते है , बंजर-काँटे-झाड़ियाँ