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मुझे पाने की हवस में / अरुणा राय
Kavita Kosh से
मुझे पाने की हवस में
बेतरह चीख़ेगा वह
बाहुपाश में ले त्रस्त कर देगा
अंत में
गड़ा डालेगा अपने बनैले दाँत
मेरे हृदय प्रकोष्ठ में
चूस जाएगा सारा रक्त
वहाँ रहना तुम
मेरे साथ
हवा से
जब रक्तश्लथ, हताश
अपने दाँत निकालेगा वह
उसी राह
निकल आना तुम
मेरे साथ
अपने होने की सुगंध लिए
और समा जाना
गीतों में धुन बनकर...