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मुझे बताओ सागर / संगीता गुप्ता

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मुझे बताओ सागर
कैसी लगती है तुम्हें
समर्पित नदी ?

लहरों का
थरथराता स्पन्दन
जल की बूंदों का
कम्पन

मुझे बताओ
इतना कुछ पाकर
और - और की चाह में
क्यों प्यासे रह जाते
तुम्हारी तलहटी के कण