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मुझे बेज़ान सा पुतला बनाना चाहता है / संजू शब्दिता

मुझे बेज़ान सा पुतला बनाना चाहता है
किसी शोकेस में रखकर सजाना चाहता है

क़तर डाले मेरे जब हौसलों के पंख उसने
बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है

मेरे जज़्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते
जिन्हे वो ख़ुद की चाबी से चलाना चाहता है

दीवारें चार मेरी हो गईं हैं क़ब्रगाहें
मुझे ज़िंदा ही वो मुर्दा बनाना चाहता है