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मुझ को तुम जो मिले सारा जहाँ मिल गया / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
मुझ को तुम जो मिले ये जहान मिल गया
तुम जो मेरे दिल में हँसे दिल का कमल देखो खिल गया
आ ऽ ये भीगती हुई फ़िज़ा, बरस रही है चाँदनी
तारों ने मिल के छेड़ दी मधुर मिलन की रागिनी
लेके क़रार आया है प्यार, क्या है अगर मेरा दिल गया
मुझ को तुम जो मिले ये जहान मिल गया
आ ऽ देखते चल रहे हैं हम है प्यार का ये रास्ता
चाँद और सितारों का, बहार का ये रास्ता
लेके क़रार आया है प्यार, क्या है अगर मेरा दिल गया
मुझ को तुम जो मिले ये जहान मिल गया
आ ऽ मेरे सुहाने ख़्वाब, कि तुम मेरे सामने रहो
ऐसी हसीन रात है दिल ये कहे सहर न हो
लेके क़रार आया है प्यार, क्या है अगर मेरा दिल गया
मुझ को तुम जो मिले ये जहान मिल गया
तुम जो मेरे दिल में हँसे दिल का कमल देखो खिल गया