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मुझ पर भी दया की कर दो नज़र जरा / बिन्दु जी

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मुझ पर भी दया की कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।
कुछ दीनों के दुःख की ले लो खबर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।
आरत जन तुमको पुकार रहे हैं,
आने की बाट निहार रहे हैं।
सिर छिपा के यहाँ बैठे नटवर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।
ब्रजबाला व्याकुल रहती है,
ग्वालों की टोली कहती है।
कब आओगे कान्हा कुँवर बनकर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।
जिस बंसी ने प्रेमप्रकाश किया,
रसदायक रास बिलास किया।
बज जाए वही बंसी घर-घर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।
बिसरा दो इन्हें या सम्हालो इन्हें,
ठुकरा दो चाहे अपना लो इन्हें,
दृग ‘बिन्दु’ हैं आपके पेशे नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर।