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मुट्ठी में / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
जाने क्या सोचकर
तुमने
मेरी हथेली पर
लिख दिया –
प्रेम
अब कहाँ-कहाँ घूमूँ मैं
इसे मुट्ठी में बांधे