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मुठभेड़ से पहले मुठभेड़ के बाद / दिनकर कुमार
Kavita Kosh से
हरियाली थी
आँखों में और खेतों में
तितलियों के पीछे
दौड़ता था बचपन
सोंधी महक थी
माटी की
कभी छुई नहीं थी
कुँवारी माटी ने
बारूद की देह
बारूद ने अपवित्र किया
माटी को
और हरियाली खो गई
तितलियों के पंख
बिखर गए
ठिठक कर रह गया बचपन
लाश और फसल
खून और कीचड़
अनाज और सपने
गोली और आदेश